संसद से पारित तीनों कृषि विधेयक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद कानून बन चुके हैं. इससे नाराज किसानों और राजनीतिक दलों ने देश भर में प्रदर्शन तेज कर दिया है. सोमवार को पंजाब यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता इंडिया गेट पर जमा हुए और एक ट्रैक्टर को आग के हवाले करके प्रदर्शन किया. यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी भी की. अपने ट्विटर हैंडल पर तस्वीरें शेयर करते हुए यूथ कांग्रेस ने लिखा, ‘देश हमारे किसानों के खून-पसीने पर निर्भर है. अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई से लेकर देश का पेट भरने तक हमारे किसान देश के रीढ़ की हड्डी रहे हैं. शहीद भगत सिंह की जयंती पर युवा कांगेस ने सरकार किसान विरोधी विधेयकों के खिलाफ ट्रैक्टर को आग के हवाले करके प्रदर्शन किया.’
पुलिस ने इस मामले में अब तक पांच लोगों को हिरासत में लिया है, जो पंजाब के रहने वाले हैं. उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है. वहीं, यूथ कांग्रेस के प्रदर्शन के तरीके पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सवाल उठाया है. ट्विटर पर उन्होंने लिखा, ‘ट्रक में ट्रैक्टर लादकर प्रदर्शन-निषिद्ध क्षेत्र में लाकर आग लगा देना, कांग्रेस कार्यकर्ता किसानों को क्या संदेश दे रहे हैं? भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए जान दी, ये किसानों की आजादी के विरोध में हिंसा कर रहे हैं। ये किसान और भगत सिंह, दोनों का अपमान है.’
इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंद सिंह ने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां में धरना शुरू कर दिया है. उनके साथ दूसरे मंत्री भी शामिल हैं. ट्विटर पर उन्होंने लिखा, ‘शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जन्मस्थान पर अपने कैबिनेट सहयोगियों और विधायकों के साथ केंद्र के किसान विरोधी विधेयकों के खिलाफ धरना.’ इसमें उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी शामिल हुए.
वहीं, उत्तर प्रदेश में कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क पर उतरी कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर 1000 से ज्यादा नेताओं और कार्यकर्ताओं को नजरबंद किए जाने का आरोप लगाया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया ने ट्विटर पर लिखा, ‘संसद में तानाशाही दिखाकर अलोकतांत्रिक तरीके से काले कानूनों को पास कराने वाली भाजपा, सड़कों पर किसानों का सामना करने से क्यों भाग रही है ? उत्तर प्रदेश में किसान विरोधी कानून के खिलाफ उठ रही आवाज और आंदोलन को पुलिस के दम पर दबाने का प्रयास तो कायरता है.’
किसानों के तीखे विरोध के बावजूद 27 सितंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद से पारित किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक-2020, किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन व कृषि सेवा समझौता विधेयक-2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी.