उत्तर प्रदेश में गन्ने का बकाया भुगतान न होने और तीन साल से दाम न बढ़ने से किसान नाराज हैं। गन्ना किसानों के मुद्दे पर मुजफ्फरनगर में किसानों ने शनिवार को महापंचायत बुलाई। भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई में हुई इस महापंचायत में किसान बड़ी तादाद में ट्रेक्टर-ट्रॉली लेकर पहुंचे। किसानों ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने हिंद किसान से बातचीत में कहा ‘देश में किसानों का बहुत बुरा हाल है। चीनी मिल किसानों का पैसा नहीं देतीं। अकेले मुजफ्फरनगर में किसानों का मिलो पर 400 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है लेकिन मिलें किसानों का भुगतान नहीं कर रही हैं।’
उन्होंने ये भी कहा कि ‘भले ही सरकार एफआरपी यानी गन्ने का खरीद मूल्य बढ़ाए या इथेनॉल के दाम लेकिन इससे किसानों को नहीं चीनी मिलों को ही फायदा होता है। दिवाली के बाद हम सरकार से बात करेंगे।’
किसानों का आरोप है कि बिजली का मुद्दा हो या पराली जलाने का किसानों पर मुकदमे तो दर्ज कर लिए जाते हैं लेकिन उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। गन्ना किसान हों या फिर धान की खेती करने वाला किसान मौजूदा दौर में सभी परेशान हैं।
किसान गन्ना के बकाया भुगतान और गन्ना के दाम बढ़ाने की मांग को लेकर मुजफ्फरनगर में किसान 28 अक्टूबर से धरना प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि, शनिवार को महापंचालय के साथ यह धरना स्थगित कर दिया गया।
किसानों की सरकार से मांग
1- गन्ने की कीमत 450 रूपये प्रति क्विटंल की जाए।
2- किसानों के गन्ना का लगभग 8,000 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान किया जाए।
3- न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद को कानून बनाया जाए।
4- किसानों के लिए बिजली के रेट कम हो, अधिकारी किसानों पर जबरदस्ती मुकदमें दर्ज न करें ।
5- सारी चीनी फैक्ट्रियां चलाई जाएं।
6- धान के क्रय केंद्र पर किसानों की खरीद की जाए। मक्का और बाजरा के भी क्रय केंद्र खोले जाएं।