पंजाब में कृषि कानूनों का सड़क से लेकर विधानसभा तक विरोध जारी है। कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने इन कृषि कानूनों को राज्य में प्रभावहीन बनाने के कानूनी उपाय करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। सोमवार को इसी विशेष सत्र का पहला दिन था। पहले यह सत्र केवल एक दिन के लिए बुलाने का फैसला किया गया था, लेकिन रविवार को दो दिन कर दिया गया। इस विशेष सत्र के पहले दिन सबसे पहले कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान किसानों के निधन पर मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
हालांकि, पहले दिन सदन के भीतर और बाहर शिरोमणी अकाली दल ने पंजाब सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। अकाली दल ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर आरोप लगाया कि पंजाब सरकार ने तीनों कृषि कानून के खिलाफ केंद्र सरकार को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है और वो केंद्र के साथ मिलकर एक फिक्स मैच खेल रही है।
वहीं, आम आदमी पार्टी के विधायकों ने भी काले कपड़े पहनकर पंजाब सरकार का विरोध किया। विधायकों ने विधानसभा के बाहर केंद्र के कृषि कानूनों की प्रतियों को फाड़कर भी विरोध जताया। आम आदमी पार्टी के विधायकों ने विधानसभा के अंदर भी प्रदर्शन किया। उन्होंने पंजाब सरकार पर केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ पारित प्रस्ताव की प्रति न दिखाने का आरोप लगाया। आप विधायकों ने इस प्रस्ताव की कॉपी न मिलने तक विधानसभा के भीतर धरने पर बैठने का भी ऐलान कर दिया।
हालांकि, सत्र शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्विटर पर लिखा, ‘आज से शुरू हो रहे इस महत्वपूर्ण विशेष सत्र के लिए मैं विधानसभा पहुंच गया हूं। हम केंद्र के किसान विरोधी कानूनों से पंजाब की खेती को बचाने और अपने हितों की रक्षा के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मिल रहे हैं।’
पंजाब में किसानों के मुखर विरोध की वजह से राज्य सरकार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना पड़ा है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह लगातार यह बात कहते रहे हैं कि केंद्र के कृषि कानूनों से राज्य के किसानों और खेती को बचाने के लिए सभी कानूनी और संवैधानिक उपायों को अपनाया जाएगा। पार्टी के विधायक दल की बैठक में उन्होंने यह भी कहा था, ‘कांग्रेस के लिए यह लड़ाई राजनीति मुद्दा नहीं है, बल्कि पंजाब की कृषि और किसानों को बचाने का प्रयास है। इसको लेकर जो भी फैसला होगा, वह किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही लिया जाएगा।’
पंजाब में किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। 14 अक्टूबर को केंद्र के कृषि मंत्रालय ने आंदोलनरत किसान संगठनों को बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया था, लेकिन किसानों ने इसका बहिष्कार कर दिया था। किसान केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाला कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, केंद्र सरकार लगातार दावा कर रही है कि नए कृषि कानूनों से किसानों को कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि ‘एक देश-एक बाजार’ बनने से उन्हें फायदा ही होगा। लेकिन किसान इस पर भरोसा करते नहीं दिखाई दे रहे हैं।