केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंबाब में किसानों का रेल रोको आंदोलन जारी है। अमृतसर के देवीदासपुरा गांव में रेल की पटरियों पर किसान बीते नौ दिनों से धरना दे रहे हैं। इसकी अगुवाई किसान मजदूर संघर्ष कमेटी कर रही है। इसके नेता सुखविंदर सिंह ने बताया कि पांच अक्टूबर तक यह आंदोलन जारी रहेगा, उससे बाद आगे की रणनीति का ऐलान किया जाएगा।
इस रेल रोको आंदोलन के चलते रेलवे ने दो दर्जन से ज्यादा ट्रेनों का संचालन अस्थायी तौर पर रोक दिया है। इस बीच पंजाब के 31 किसान संगठनों ने भी इस रेल रोको आंदोलन के समर्थन में आने और पूरे प्रदेश में रेल की पटरियों पर धरना देने का ऐलान किया है। गुरुवार को जालंधर के फुल्लौर जंक्शन पर भारतीय किसान यूनियन और जम्हूरी किसान सभा ने प्रदर्शन किया। इसमें शामिल भारतीय किसान यूनियन के नेता अमरीक सिंह ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार अपने कानूनों को वापस नहीं लेती है, किसानों का यह आंदोलन चलता रहेगा।
संसद से मानसून सत्र में पारित हो चुके किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक-2020, किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन व कृषि सेवा समझौता विधेयक-2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 पर बीते महीने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर कर दिए थे. इसके बाद ये विधेयक अब कानून बन चुके हैं। केंद्र सरकार ने जून में इनसे जुड़े अध्यादेशों को लागू किया था। तब से किसान इनसे नुकसान होने का सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि इन कानूनों से कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) एक्ट के तहत चल रहीं मौजूदा मंडियां खत्म हो जाएंगी, जिससे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की व्यवस्था खतरे में पड़ जाएगी।
लेकिन सरकार लगातार इससे किसानों को फायदा होने के दावे कर रही है। गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘लोगों के बीच यह गलतफहमी फैलाई जा रही है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। मैं भरोसा दिलाता हूं कि हमारी सरकार समय-समय पर एमएसपी बढ़ाती रहेगी। हमारा लक्ष्य किसानों का विकास है।’ उन्होंने आगे कहा कि मंडी व्यवस्था खत्म नहीं होगी, बल्कि इन कानूनों से किसानों को किसी भी राज्य में मंडी के भीतर या बाहर अपनी फसल बेचने का विकल्प मिला है। राजनाथ सिंह ने कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने का कहा कि संसद से पारित कानूनों के खिलाफ फैलाई जा रही गलतफहमी किसानों के हितों के खिलाफ है।