केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब विधान सभा से कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के विधेयक पारित होने के बाद बुधवार को चंडीगढ़ में 29 किसान संगठनों ने बैठक की। इस बैठक में आंदोलन के आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। किसान संगठनों ने यह फैसला लिया कि 5 नवंबर तक रेल रोको आंदोलन में ढील दी जाएगी जिसमें सिर्फ माल गाड़ियों की आवाजाही होने दी जाएगी।
हालांकि किसान संगठनों ने यह साफ कहा कि सिर्फ माल गाड़ियों की आवाजाही होने दी जाएगी जिससे जरूरी सामानों की आपूर्ति प्रभावित न हो। इसके साथ ही बाकी ट्रेनों यानी सवारी गाड़ियों के लिए रेल रोको आंदोलन जारी रहेगा। इसके साथ ही पंजाब में टोल प्लाजा, रिलायंस पेट्रोल पंप पर धरना और बीजेपी नेताओं का घेराव भी जारी रहेगा।
मंगलवार को पंजाब विधान सभा से केंद्र के कृषि कानूनों को संशोधित करने वाले विधेयक पारित हुए थे। विधेयक पर चर्चा के दौरान सीएम अमरिंदर सिंह ने किसानों से अपील की थी कि किसान अब आंदोलन छोड़ अपने काम पर वापस लौटें। चंडीगढ़ में जुटे किसान संगठनों ने अमरिंदर सिंह सरकार के कदम का स्वागत किया लेकिन आंदोलन जारी रखने की भी बात कही।
भारतीय किसान यूनियन (डकौंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह भट्टी ने हिंद किसान से फोन पर बातचीत में कहा, ‘संगठन पंजाब सरकार के कदम का स्वागत करते हैं और 5 नवंबर तक माल गाड़ियों की आवाजाही जारी रखेंगे। लेकिन हम 27 अक्टूबर को दिल्ली में बैठक करेंगे और तय करेंगे कि अब इस आंदोलन को पंजाब के बाहर राष्ट्रीय स्तर पर कैसे पहुंचाएं।’ उन्होंने कहा, ‘यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक केंद्र की मोदी सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती और एमएसपी की गारंटी नहीं देती।’
किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने हिंद किसान से फोन पर बातचीत में कहा, ‘उनका संगठन बैठक में शामिल नहीं हो पाया लेकिन वहां लिए गए फैसलों की उन्हों जानकारी है। उनका संगठन भी जल्द ही इस पर फैसला लेगा।‘
सरवन सिंह ने कहा कि हम तैयारी कर रहे हैं कि अब रेल रोको आंदोलन को कैसे जारी रखा जाए। उन्होंने कहा, ‘हम रेलवे स्टेशनों पर धरना देंगे और सिर्फ माल गाड़ियों को आने जाने देंगे। इसके साथ ही अन्य प्रदर्शन पहले की ही तरह जारी रहेंगे। लेकिन अंतिम फैसला संगठन की बैठक के बाद होगा।’
पंजाब में कृषि कानूनों के खिलाफ एक अक्टूबर से किसान संगठन रेल रोको आंदोलन चला रहे हैं। इस आंदोलन की वजह से अब तक कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है साथ ही रेलवे ने करोड़ों का नुकसान भी उठाया है।