पंजाब में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावों पर सवाल उठाया है। रेल रोको आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष सरवन सिंह पंढेर ने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी ने जो बयान दिया उससे इन काले कानूनों की सच्चाई झलक गई। वह कह रहे हैं कि कंपनियां आपको खाद देगी बीज देंगी, मैं प्रधानमंत्री जी बताना चाहता हूं की पहले ही कंपनिय हमें दवाइयां भी बेंचती हैं, खाद भी बेंचती हैं। हमें सब मिल रहा है फिर कौन सी नई चीज देंगे। ये बात हमें आपकी सही नहीं लगी।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के अलावा उत्तराखंड में विकास योजनाओं के उद्घाटन के मौके पर कृषि कानूनों से किसानों को आजादी मिलने का दावा किया था। उनके इस बयान पर सरवन सिंह ने कहा, ‘आप किसानों को आजादी देने की बात करते हो तो एपीएमसी एक्ट आप खुद ही पढ़ लो मोदी जी! एपीएमसी एक्ट के तहत 1970 में ही हमें आजादी मिली हुई है किसान जहां चाहे वहां अपनी फसल बेच सकते हैं। किसानों पर कहीं भी फसल बेचने पर रोक नहीं है। हमारी (किसानों की) गाड़ियां या मशीनें कभी जब्त नहीं की गई।’ उन्होंने हरियाणा की खट्टर सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा, ‘आपकी खट्टर सरकार ने नए कानून बना रही है, वही किसानों की (फसलों से भरी) गाड़ियां रोक रहे हैं। आप अपनी फिक्र करें।’
पंजाब में रेल रोको आंदोलन कर रहे किसानों का धरना सातवें दिन भी जारी है। धरने पर बैठे किसान केंद्र सरकार पर किसानों के बजाए कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं। धरने पर बैठे किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक करने की मांग कर रहे हैं। सरवन सिंह ने कहा, ‘स्वानीनाथन रिपोर्ट को लेकर आपने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके ये कहा कि स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू नहीं हो सकती। आप खेती से जुड़े काले कानून ले आए हो, स्वामीनाथन की बात करते हो, कंपनियों को फायदा पहुंचाने की बात करते हो, हम आपसे मांग करते हैं कि आप हम किसानों के साथ बात कर लो, हम हर मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार हैं, जिससे पता चले की सच क्या है।’
अमृतसर और फिरोजपुर में धरने पर बैठे किसानों ने देश के सभी नागरिकों से कॉरपोरेट घरानों के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करने की अपील शुरू की है। इसी कड़ी में बुधवार को किसानों ने जियो के सिम जलाकर अपना विरोध जताया। किसानों का रेल रोको आंदोलन 24 सितंबर से चल रहा है। इस आंदोलन 1 अक्टूबर से अब प्रदेश के 31 किसान संगठनों ने समर्थन देने का ऐलान किया है।