कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पंजाब में खेती बचाओ यात्रा के तीसरे दिन कृषि कानूनों को लेकर केंद्र पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर खेती का मौजूदा ढांचा ध्वस्त हुआ तो न तो रोजगार मिलेगा और न ही सस्ता अनाज। पटियाला में प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा, ‘हमारी यात्रा प्रधानमंत्री के तीनों काले कानूनों के खिलाफ है। ये कानून खेती के मौजूदा ढांचे और खाद्य सुरक्षा को तबाह करने वाले हैं। पंजाब और हरियाणा इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। अगर यह ढांचा टूटा तो भविष्य में पंजाब को कोई रास्ता नहीं मिल पाएगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार खेती कानूनों के जरिए अडानी और अंबानी को फायदा पहुंचाना चाहती है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र के कृषि कानूनों के अलावा जीएसटी, नोटबंदी और लॉकडाउन के फैसले पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘पीएम मोदी ने जिस तरह से पहले नोटबंदी की, उसके बाद जीएसटी और कोरोना संकट के दौरान किसानों, मजदूरों, छोटे कारोबार के लिए मदद का हाथ नहीं बढ़ाया। इसी तरह ये तीनों कानून भी किसानों पर हमला करने वाले हैं।’
इससे पहले कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में मंडी सुधार के वादे पर छिड़े विवाद पर राहुल गांधी ने कहा, ‘खाद्य सुरक्षा के सिस्टम को मजबूत करेंगे, आज 40 किलोमीटर के दायरे में मंडी होती है, हम 4 किलोमीटर के रेडियस पर मंडी लगाएंगे। हम इस सिस्टम की जो कमियां हैं उसे सुधारने की कोशिश करेंगे, लेकिन हम इस सिस्टम को तोड़ेंगे नहीं। क्योंकि हम जानते हैं कि अगर इस सिस्टम को तोड़ देंगे तो किसान गया।’ राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘नरेंद्र मोदी जी को शायद समझ ही नहीं हैं। अगर आपने सिस्टम तोड़ दिया तो किसान की सुरक्षा कहां रह गई? हमारी जो फिलॉसफी थी कि हम जानते हैं कि मंडियों में कमी हैं, वहां पर भ्रष्टाचार है, लेकिन हम इस सिस्टम को रिफॉर्म करना चाहते हैं। वो जटिल मामला है, आसान मामला नहीं है, नरेंद्र मोदी जी जो सच्चा चैलेंज है उसको स्वीकार नहीं करना चाहते। नरेंद्र मोदी कहते हैं कि इसको तो मैं उड़ा देता हूं।’
राहुल गांधी ने रविवार को पंजाब से तीन दिवसीय किसान बचाओ यात्रा शुरू की थी। इस दौरान राज्य के अलग-अलग हिस्सों की यात्रा की और किसानों से मुलाकात की। उन्होंने हरियाणा में भी इसी तरह ट्रैक्टर यात्रा करने और केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ रैलियां करने का ऐलान किया है। किसानों के विरोध के बावजूद संसद से पारित तीनों विधेयक बीते महीने कानून का रुप ले चुके हैं। किसान इन कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ लगातार आंदोलन कर रहे हैं।