कृषि विधेयकों के खिलाफ कांग्रेस समेत विपक्षी दल सड़क से संसद तक विरोध कर रहे हैं। इन्हीं विधेयकों के मामले पर विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और संसद से पारित विधेयकों को मंजूरी ना देने की अपील की।
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कांग्रेस सांसद और राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, ‘ना मतदान हुआ, ना ध्वनिमत का बंटवारा हुआ। लोकतंत्र के मंदिर में संविधान का हनन किया गया। हमने राष्ट्रपति से अपील की है कि कृषि बिल असंवैधानिक रूप से पारित किया गया है और उसे इन बिलों को वापस करना चाहिए।’
वहीं, आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने कहा कि, ‘हमने राष्ट्रपति जी से बिलों को वापस करने की अपील की है। संसदीय परंपरा के खिलाफ यह बिल गैर-संवैधानिक तरीके से पास किये गए हैं।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘यह देश के किसानों को बर्बाद करने वाला बिल है और इन बिलों के खिलाफ सड़क पर भी आंदोलन होगा।’
विपक्षी दलों ने मंगलवार को बैठक के बाद राष्ट्रपति को चिट्ठी भी लिखी थी। इसमें विधेयकों को मंजूरी ना देने की अपील की गई थी। कृषि से जुड़े तीन विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुके हैं। अब राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद कानून बन जाएंगे। केंद्र सरकार ने इनसे संबंधित तीन अध्यादेश 5 जून 2020 को लागू किये थे। तभी से देश के कई हिस्सों में किसानों के प्रदर्शन हो रहे हैं। इन विधेयकों के विरोध में 25 सितंबर को देश के लगभग सभी किसान संगठनों ने ‘भारत बंद’ का ऐलान किया है। इसमें कई विपक्षी दल भी शामिल हो रहे हैं।
वहीं बुधवार को कांग्रेस समेत विपक्ष के सांसदों ने संसद भवन में विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन किया। सांसदों ने कृषि और मजदूरों से जुड़े विधेयकों के खिलाफ पोस्टर लेकर संसद भवन में गांधी प्रतिमा से अंबेडकर प्रतिमा तक मार्च निकाला।