संसद से पारित कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों के तीखे आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन के धान की खरीद शुरू कर दी है। केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा में शनिवार यानी 26 सितंबर से ही धान की खरीद शुरू हो गई है, बाकि देश में धान की खरीद 1 अक्टूबर से शुरू होनी है।
केंद्र सरकार ने कहा है कि पंजाब और हरियाणा में तय समय से पहले धान की फसलें मंडियों में आने लगी हैं, इसे देखते हुए तत्काल धान की खरीद शुरू करने का फैसला किया गया है, ताकि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ मिल सके। धान की खरीद में राज्यों की सभी खरीद एजेंसियों के साथ फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया भी शामिल हो रहा है। हरियाणा में इस बार धान की खरीद के लिए कुल 400 धान खरीद केंद्र बनाए गए हैं। वहीं, पंजाब सरकार ने कोविड महामारी को देखते हुए प्रदेश में 4000 धान खरीद केंद्र बनाए हैं। इसके लिए राइस मिलों को भी मंडी यार्ड घोषित किया गया है।
वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रदेश में 27 सितंबर से धान की खरीद शुरू होने की जानकारी दी है। ट्विटर पर उन्होंने लिखा कि राज्य में पीआर-126 किस्म के धान की खरीद 27 सितंबर से शुरू होगी. केंद्र सरकार ने इस साल धान के लिए 1,868 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी घोषित किया है। इस साल एमएसपी पर 495 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है, जो बीते खरीफ सीजन के 416 लाख टन के लक्ष्य से 20 फीसदी ज्यादा है।
हालांकि, सरकार भले ही मंडी में अगैती धान की आवक को जल्द खरीद शुरू करने की वजह बता रही हो, लेकिन इसे हरियाणा और पंजाब में कृषि विधेयकों के खिलाफ आंदोलन से जोड़कर देखा जा रहा है। भारत बंद के दौरान इन दोनों राज्यों में किसानों का सबसे तीखा विरोध सामने आया है। इस मुद्दे पर हिंद किसान से हुई बातचीत में किसान नेता रमनदीप सिंह मान ने कहा कि धान की जल्दी खरीद होना किसानों के लिए अच्छी बात है, लेकिन सरकार ने यह सोचकर जल्दी खरीद करने फैसला किया है कि इससे किसानों का ध्यान आंदोलन से बंटकर धान को बेचने में लग जाएगा और वे आंदोलनों में बहुत सक्रियता से शामिल नहीं होंगे। वहीं, धान खरीद के लिए जरूरी तैयारियों के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले 1 अक्टूबर से खरीद करने की बात कही थी, फिर 7 अक्टूबर से खरीद शुरू होने की बात आई, अब सरकार ने 26 सितंबर से खरीद शुरू करने का फैसला किया है, ऐसे में तैयारियों की असलियत तो तब सामने आएगी, जब किसान अपनी फसलें लेकर खरीद केंद्रों पर जाएंगे।
इस बीच संसद से पारित कृषि विधेयकों को लेकर किसान अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि सरकार या तो इन कृषि विधेयकों को वापस ले या फिर इनके साथ एमएसपी पर फसलों को खरीदने की गारंटी देने वाला कानून बनाए। उनका कहना है कि सरकार ने इन विधेयकों में कहीं भी एमएसपी का जिक्र नहीं किया है। किसानों का यह भी आकलन है कि इन विधेयकों की वजह से एमपीएमसी एक्ट के तहत बनी मौजूदा मंडी व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी और इसके बाद सरकार इनके जरिए एमएसपी पर होने वाली खरीद को बंद कर देगी। हालांकि, सरकार लगातार किसानों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही है कि फसलों की एमएसपी पर खरीद बंद नहीं की जाएगी। फिलहाल इस पर किसान भरोसा करते नजर नहीं आ रहे हैं।