हरियाणा के सिरसा में किसानों पर पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ किसानों की नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रही और किसान सड़कों पर उतर आए हैं। पंजाब के करीब 30 किसान संगठनों ने राज्य में जगह-जगह हाइवे जाम किया और दो घंटों तक राज्य के तमाम हाइवे पर आवाजाही ठप कर दी। बुधवार को हरियाणा के सिरसा में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के इस्तीफे की मांग कर रहे किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने वॉटर कैनन और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया था। पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ किसान चक्का जाम कर आंदोलन कर रहे हैं।
पंजाब में चक्का जाम कर रहे किसानों ने केंद्र और हरियाणा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। भवानीगढ़ में प्रदर्शन में मौजूद भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा) के राज्य महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि, ‘हमने स्टेट और नेशनल हाइवे दो घंटे के लिए बंद कर दिये हैं। हरियाणा में खट्टर सरकार ने किसानों पर अत्याचार किया है। जिस तरह किसानों पर लाठीचार्ज किया गया और आंसू गैस के गोले दागे गए उससे पता चलता है कि खट्टर सरकार कितनी किसान विरोधी है।’
जगमोहन ने कहा कि, ‘किसानों का संघर्ष जारी रहेगा। हम हरियाणा के किसानों के साथ खड़े हैं और देशभर के किसान एकजुट हैं।’
भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के काका सिंह कोटड़ा ने कहा कि, ‘न तो केंद्र सरकार हमारी बात सुन रही है और न ही राज्य सरकारें। हरियाणा के किसान लड़ रहे हैं लेकिन पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया। इसके विरोध में हम दो घंटे के लिए सारे रास्ते जाम कर देंगे। हमारी मांग है कि जिन पुलिस वालों ने किसानों पर लाठीचार्ज किया उनपर कार्रवाई कर सजा दें और तीनों कानून वापस लें।
आखिर सिरसा में क्या हुआ था
मंगलवार 6 अक्टूबर को हजारों की तादाद में किसान सिरसा के दशहरा मैदान में जुटे और वहां से दुष्यंत चौटाला के इस्तीफे की मांग उठाई। इसके बाद किसानों ने दुष्यंत चौटाला के आवास की तरफ कूच किया। किसानों की रणनीति दुष्यंत चौटाला के आवास को घेरने की थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें कुछ दूरी पहले रोक दिया। किसानों को हटाने के लिए उन पर वॉटर कैनन और आंसू गैस के गोलों का भी इस्तेमाल किया गया। लेकिन इन सबके बीच मंगलवार रात को किसान वहीं डटे रहे। बुधवार सुबह हरियाणा पुलिस ने योगेंद्र यादव समेत करीब 100 किसानों और किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया।
सिरसा में किसानों की हिरासत के बाद हरियाणा के कई इलाकों में किसानों ने चक्का जाम और विरोध प्रदर्शन किया। आखिरकार करीब 9 घंटे बाद बिना शर्त सभी किसान और किसान नेताओं को रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद किसानों ने प्रदर्शन जारी रखने का ऐलान किया।