केंद्र सरकार के कृषि विधेयकों का विरोध लगातार जारी है। 25 सितंबर को किसानों के भारत बंद का समर्थन करने के बाद कांग्रेस ने शनिवार को सोशल मीडिया पर स्पीकअप फॉर फार्मर्स कैंपेन (#SpeakUpForFarmers) शुरू किया है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा, ‘मोदी सरकार द्वारा किसानों पर किए जा रहे अत्याचार और शोषण के ख़िलाफ़, आइये साथ मिलकर आवाज़ उठाएं। अपने वीडियो के माध्यम से #SpeakUpForFarmers campaign से जुड़िए।’
25 सितंबर के भारत बंद का समर्थन करते हुए राहुल गांधी ने लिखा था, ‘एक ग़लत जीएसटी ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को नष्ट कर दिया। अब नए कृषि क़ानून हमारे किसानों को ग़ुलाम बनाएंगे।’ ‘आई सपोर्ट भारत बंद’ हैशटैग (#ISupportBharatBandh) के साथ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘किसानों से बातचीत करके एक बात साफ़ हो गयी- उन्हें मोदी सरकार पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है। किसान भाइयों की बुलंद आवाज़ के साथ हम सब की आवाज़ भी जुड़ी है और आज पूरा देश मिलकर इन कृषि क़ानूनों का विरोध करता है।’
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि विधेयकों को लेकर किसानों को गुमराह किये जाने का आरोप लगाया है। 25 सितंबर को दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से किसानों के बीच जाने और उन्हें सरल शब्दों में कृषि सुधारों के फायदे समझाने की अपील की।
पीएम मोदी ने कहा, ‘कृषि सुधार ज्यादातर छोटे और मझौले किसानों को लाभ पहुंचाएंगे। 100 में से 85 किसान इसी श्रेणी में आते हैं और वे इससे खुश हैं। उन्हें पहली बार अपनी फसलों की कीमत का विकल्प मिला है. वे पारंपरिक तौर पर मंडियों में फसल बेचते रहे हैं, अब अगर वे मंडी के बाहर फसल बेचना चाहते हैं तो उसे बेच सकेंगे।’ उन्होंने आगे कहा, ‘किसानों को ऐसे कानूनों में उलझाकर रखा गया, जिसके कारण वो अपनी ही उपज को, अपने मन मुताबिक बेच भी नहीं सकता था। नतीजा ये हुआ कि उपज बढ़ने के बावजूद किसानों की आमदनी उतनी नहीं बढ़ी। हां, उन पर कर्ज जरूर बढ़ता गया।’
लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार 5 जून को खेती से जुड़े तीन अध्यादेश लाई थी। ये अध्यादेश अब किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल-2020, किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा समझौता विधेयक-2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल-2020 के रूप में संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुके हैं। सरकार इससे ‘एक देश-एक बाजार’ बनने और किसानों को सही कीमत मिलने के दावे कर रही है। लेकिन किसान इसे अपने हितों के खिलाफ बता रहे हैं. उनका साफ कहना है कि इन विधेयकों से पूंजीपतियों और बड़ी कंपनियों को फायदा होगा, आगे चलकर मौजूदा मंडी व्यवस्था और इसके जरिए एमएसपी पर होने वाली फसलों की खरीद बंद हो जाएगी. किसान इन विधेयकों को वापस लेने या फिर फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले कानून को बनाने की मांग कर रहे हैं.