केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ छत्तीसगढ़ में किसान संगठनों ने 5 नवंबर को चक्का जाम करने का ऐलान किया है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ, देशव्यापी चक्का जाम में प्रदेश के 30 से ज्यादा किसान संगठन शामिल होंगे।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के राज्य संयोजक आलोक शुक्ला और छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते ने कहा कि ‘प्रदेश के 30 से ज्यदा किसान संगठन सड़को पर उतरेंगे और प्रदेश के सभी राष्ट्रीय और राज्य मार्गों पर चक्का जाम किया जाएगा।’
उन्होंने कहा कि ‘जगह-जगह इन कानूनों की प्रतियां और सरकार के पुतले भी जलाए जाएंगे। साथ ही “कॉर्पोरेट भगाओ- खेती-किसानी बचाओ-देश बचाओ” का नारा भी बुलंद किया जाएगा।’
किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार इस देश की कृषि और खाद्यान्न के बाजार को कार्पोरेटों के हवाले करना चाहती है इसलिए, मोदी सरकार ने ये तीन कृषि विरोधी कानून बनाये हैं। कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए संजय पराते ने कहा कि इसका मकसद किसानों को समर्थन मूल्य की प्रणाली और गरीबों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से वंचित करना है।
इसके अलावा किसान संगठन राज्य की भूपेश बघेल सरकार से धान की खरीद 10 नवंबर से शुरू करने और केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ पारित विधेयकों में बदलाव किए जाने की मांग कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते ने कहा कि ‘ प्रदेश की भूपेश सरकार ने विधान सभा में जो विधेयक पास किया है, वो किसानों के लिए समर्थन मूल्य सुनिश्चित नहीं करता, किसानों के हितों की रक्षा नहीं करता। इसलिए पंजाब की तर्ज पर एक सर्वसमावेशी कानून बनाया जाए।’
राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने 28 अक्टूबर को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक 2020, चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित किया था।