दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार के अध्यादेश पर जारी विवाद के बीच वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का गठन कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को आयोग के अध्यक्ष और उसके सदस्यों के नामों की अधिसूचना जारी की है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पूर्व सचिव एम एम कुट्टी आयोग के अध्यक्ष बनाए गए हैं। एम एम कुट्टी दिल्ली के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। इसके साथ ही वह पर्यावरण मंत्रालय के साथ भी काम कर चुके हैं। उनके अलावा 14 और सदस्यों का नाम भी सरकार ने जारी किए। इनमें अलग-अलग विभाग के अधिकारी, विशेषज्ञ, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और पंजाब के अधिकारी शामिल हैं।
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ‘भारत सरकार द्वारा वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु गठित आयोग की अध्यक्षता एम.एम.कुट्टी करेंगे। यह आयोग सभी राज्यों को साथ लेकर, दिल्ली-एनसीआर एवं आसपास के क्षेत्रों में होने वाले प्रदूषण को समाप्त करने के लिए काम करेगा।’
केंद्र सरकार की दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए 28 अक्टूबर को अध्यादेश जारी किया था। इस कानून में दिल्ली-एनसीआर और आस-पास के इलाकों में प्रदूषण फैलाने के दोषी पाए जाने पर पांच साल तक की जेल की सजा और एक करोड़ रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के पास वायु गुणवत्ता, प्रदूषणकारी तत्वों के बहाव के लिए मानक तय करने, कानून का उल्लंघन करने वाले परिसरों का निरीक्षण करने, नियमों का पालन नहीं करने वाले उद्योगों, संयंत्रों को बंद करने के आदेश देने का अधिकार होगा। अध्यादेश के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन करने के लिए यह आयोग पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के जरिए पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण यानी ईपीसीए समेत अन्य गठित समितियों की जगह काम करेगा।
क्या है विवाद
केंद्र सरकार का अध्यादेश सामने आने के बाद से ही इस पर विवाद शुरू हो गया था। किसान संगठनों ने इस कानून को किसानों के लिए दमनकारी बताया था। साथ ही इस पर किसान संगठनों से सलाह मशविरा न करने की भी बात कही थी। दरअसल, किसान संगठनों का कहना है कि यह कानून पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को प्रभावित करेगा जो धान की खेती करते हैं।
धान की खेती से निकलने वाले पराली और उसे आग लगाने को लेकर लगातार सवाल उठते हैं। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली होती जाती है और इसमे पराली का धुआं भी बड़ी वजह होता है। किसान लगातार सरकार से पराली के निपटारे के लिए उचित प्रबंधन की मांग करते रहे हैं। लेकिन किसानों को सरकार से तकनीकी और आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही है। ऐसे में किसानों के सामने पराली के निपटारे के लिए उसमे आग लगाने का ही विकल्प बच पाता है। बाकि के विकल्प किसानों के लिए आर्थिक तौर पर महंगे साबित होते हैं।
अध्यादेश आने के बाद उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में पराली में आग लगाने पर किसानों पर कार्रवाई की गई है। किसान संगठन इससे भी नाराज हैं और जगह जगह प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दे रहे हैं। यह सब ऐसे वक्त हो रहा है जब देशभर के किसान पहले से ही कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार से खासे नाराज चल रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं।