कोरोना और लॉकडाउन ने कृषि समेत कई व्यावसायिक क्षेत्रों को प्रभावित किया है। ऐसे में फार्म ईआरपी किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प बन कर सामने आया है। यह डिजिटल तरीके से किसानों और उपभोक्ताओं के बीच की दूरी को डिजिटल तरीके से कम कर रहा है। इसके साथ ही यह किसानों को फसल उगाने के लिए बेहतर तकनीकी सुविधाएं भी मुहैया करा रहा है।
फार्म ईआरपी कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने का काम करता है। फार्म ईआरपी का दावा है कि वह पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए टिकाऊ उपज उगाने के लिए किसानों के साथ काम कर रहा है। उन्हें रसायनों, उर्वरकों, और पानी के उपयोग के सही इस्तेमाल की जानकारी भी देता है।
फार्म ईआरपी सरकार के साथ सहयोग करते हुए किसान उत्पादक संघों यानी एफपीओ के साथ काम कर रहा है। संस्थान का दावा है कि वह 4 मुख्य उद्देश्यों पर काम करता है- स्थिरता, खाद्य सुरक्षा, जलवायु लचीलापन और ट्रेसबिलिटी।

किसानों के सामने सबसे बड़ी मुश्किल फसल की सही कीमत नहीं मिलना है। फार्म ईआरपी किसानों को अधिकृत खरीदारों, खेती कंपनियों और हितधारकों के साथ संपर्क करने में मदद करता है। यह अपने आपूर्ति प्रबंधन सॉफ्टवेयर के साथ उत्पादन की जगह से बाजार में उपलब्धता तक किसानों को आपूर्ति श्रंख्ला से जोड़ता है। संस्था ने बहु-फसली खेती को बेहतर बनाने के लिए फसल योजना और फसल कार्यक्रम तैयार किये हैं। इसके लिए खेत पर्यवेक्षकों को मोबाइल क्लाइंट एल्पिकेशन पर उत्पादन के आंकड़े जुटाने के लिए प्रशिक्षित किया है जिसकी मदद से उत्पादन गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
इसके साथ ही फार्म ईआरपी लाइट ऐप पर किसानों को उनकी ‘सुरक्षित फसल के लिए’ सुविधा के माध्यम से मिट्टी के स्वास्थ्य और गिरावट पर विवरण प्रदान करके उनकी उपज की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह किसानों को रसायनों के छिड़काव संबंधी जानकारी भी महैया कराता है और इसके लिए ‘सेफ टू स्प्रे’ सुविधा किसानों की मदद करती है।
कृषि से जुडे़ स्टार्ट-अप का भविष्य कैसा है
कृषि से जुड़े स्टार्ट अप तेजी से तैयार हो रहे हैं। इनमें से कई कोरोना और लॉकडाउन में बेहतर विकल्प के तौर पर सामने आए हैं। जिन्होंने खेत से थाली के बीच तालमेल का काम किया है। फार्म ईआरपी ने स्मार्ट कृषि के डिजिलट प्लेटफॉर्म ने भारत में एक प्रमुख नए उत्पादन स्टार्ट-अप को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पूरे व्यवसाय का प्रबंधन करने में सक्षम बनाया है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के मुताबिक भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में अप्रैल 2000 से मार्च 2020 के बीच 9.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई का निवेश हुआ है।